मेरे उम्मीद से ज्यादा मेरा पिछला पोस्ट विचारो को बदल कैसे सफल हो
पढ़ा गया, और लोगो ने सराहा भी इस विषय को , और मै आप सब का आभारी हूँ, की मेरा पोस्ट आप सब को पसंद आ रहा है|
आज का जो विषय है- क्या आप अपने जीवन के प्रति जिम्मेदार है? ये विषय चुनने का मकसद मेरा यही है की आप अपने जीवन के प्रति कितना सजग है और कितना अपने ऊपर काम कर रहे है, और इसे किस प्रकार का बनाना चाह रहे है? यह शक्तिया आपके पास है, ये आपके ऊपर निर्भर करता है की आप इस ब्रहमांड की शक्ति का कैसे उपयोग करते है? तो आखिरी तक पढ़िए-
कैसा लगा कामेंट करके बताये , और दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे- शायद इस छोटी सी कोशिश से किसी का जीवन बदल जाये|
आप अपने जीवन के प्रति जिम्मेदार है ? हाँ मेरा तो यही उत्तर है | तो मै यही कहना चाहूँगा की जिंदगी में जितनी भी भी घटित घटनाये है, चाहे वो सुख दुःख या कोई भी ऐसी घटना है, जो आपके जीवन में घटित हो रहा है| तो इस परिस्थिति का जिम्मेदार आप स्वयं है? कैसे???? तो सीधे तौर पर यही कहूँगा की आप ही हो अपने जीवन के निर्माता सब कुछ जो आपके साथ हो रहा है, यह बात पढ़कर आप थोड़ी देर के अचंभित भले हो| लेकिन यह कटु सच्चाई है, जिसे आप झुठला नहीं सकते | हम जिस जगह रह रहे है, जिस प्रकार के कपडे पहन रहे है, और जिस घर में रह रह रहे है, हमने खुद बनाया है| ये बात सच है की हम अपनी दुखद या सुखद परिस्थितियों के खुद स्वयं जिम्मेदार है| इस बात को हम इस तरह से समझते है- की कैसे हम अपनी जिंदगी सफलता विफलता के खुद जिम्मेदार है?
जिंदगी में हमारे एक सिद्धान्त काम करता है, अनजाने में ही सही पर वो हम सबके साथ काम कर रहा है|
वो सिद्धांत है "आकर्षण का सिद्धान्त" जो हम सभी के साथ घटी घटनाओ का रूप है, जो हमने कभी उस विषय पर विचार किया, सोचा समझा व् लगातार अपने जहन में बिठाये रखे उस बात को- वो बात गलत या सही इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, की आप गलत या सही सोच रहे है, ये काम करता है, जैसे गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत जो हम सभी पर लागु होता है| जैसे कोई भी ठोस वास्तु ऊपर फेके तो वो निचे ही गिरता है न की ऊपर जाता है|
यह ठीक गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत पर ही काम करता है| यानी " जैसे सोचेगे,वैसे आज नहीं तो कल वैसे ही हम बन जायेंगे" यानि हम जिस प्रकार का सोच रखते है, चाहे वह गलत या सही इसका परिणाम हम भुगतते है| यानि ठीक उसी प्रकार जैसे जमींन में किसी भी प्रकार का बीज डाल दे, तो मिट्टी यह नहीं देखती की जहर का वृक्ष बोया है, या कोई फल का वृक्ष | ठीक इसी प्रकार हमारा मष्तिष्क जिसे हम अवचेतन मन कहते है| यह भी वैसे ही काम करता है, क्या गलत है, क्या सही इसका फर्क नहीं पड़ता हमारे अवचेतन मन पर आप जैसा सोचेंगे वैसे ही घटनाये आपके साथ घटित होती रहेगी|मानिये आपका अवचेतन मन अलादीन के चिराग जैसा है| यानि आपका गुलाम ' जिसे जो हुक्म दिया जाये वह ठीक वही कार्य करे' , तो यह सीधा सीधा इस बात से यह निष्कर्ष निकलता है की- हम अपनी असफलता का खुद जिम्मेदार है| वह कैसे तो, चलिए जानते है-
हमारे मन में कुछ इस प्रकार के विचार अपना जड़े जमा चुकी है-
१ कोई भी कार्य शुरू करने से पहले असफलता का डर- अक्सर ऐसा होता है - हम जब भी कभी कोई नयी शुरुवात करने जाते है, यह सबसे बड़ी व् खास बात होती है, जैसे--
असफलता से पहले ही दर जाना|
क्या होगा जब मई फेल हो जाऊंगा|
लोग क्या कहेंगे?
दुसरो से तुलना करने लगते है , वो नहीं कर पाया तो मै कैसे कर पाऊंगा ?
एवं अन्य प्रकार की बहुत सारी नकारात्मक बाते हमारे मष्तिष्क में घर कर बैठती है, और अगर हम हिम्मत कर आगे बढ़ते भी है, तो असफलता हाथ लगती है|
अपने जीवन में हमेशा कमी महसूस करना- अक्सर ऐसा भी होता है हम हमेशा ये सोचने लगते है की मेरे पास इस चीज की कमी है, पैसे नहीं है, सही घर नहीं है, सही लोग नहीं है, मेरे पास कमी है कमी है... इस बात का हमारे मन पर बहुत गहरा असर पड़ता है- और हमारे जीवन में कमिया ही कमिया रहती है| और हम कभी आगे नहीं बढ़ पाते....
कैसे हम इन सारी नकारात्मक विचारो से मुक्ति पा सही वस्तुओ, सुख,ख़ुशी,स्वास्थ,धन,ऐश्वर्य सब कुछ पा सकते है-
इस विषय पर चर्चा अगले लेख में किया जायेगा--
"यानि हमारा मष्तिष्क ही हमारे जीवन में हो रही घटनाओ का प्रतिबिंब है"
एक कहावत है " बोये बीज बबूल का तो आम कहा से खाये"
ठीक इसी प्रकार हम जो कुछ सोचते विचरते है- उसका सीधा सीधा प्रभाव हमरे जीवन में आने वाली घटनाओ पर पड़ता है|
मुझे उम्मीद है--
आप मेरी बातो को समझ गए होंगे|
धन्यवाद
पढ़ा गया, और लोगो ने सराहा भी इस विषय को , और मै आप सब का आभारी हूँ, की मेरा पोस्ट आप सब को पसंद आ रहा है|
आज का जो विषय है- क्या आप अपने जीवन के प्रति जिम्मेदार है? ये विषय चुनने का मकसद मेरा यही है की आप अपने जीवन के प्रति कितना सजग है और कितना अपने ऊपर काम कर रहे है, और इसे किस प्रकार का बनाना चाह रहे है? यह शक्तिया आपके पास है, ये आपके ऊपर निर्भर करता है की आप इस ब्रहमांड की शक्ति का कैसे उपयोग करते है? तो आखिरी तक पढ़िए-
कैसा लगा कामेंट करके बताये , और दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे- शायद इस छोटी सी कोशिश से किसी का जीवन बदल जाये|
आप अपने जीवन के प्रति जिम्मेदार है ? हाँ मेरा तो यही उत्तर है | तो मै यही कहना चाहूँगा की जिंदगी में जितनी भी भी घटित घटनाये है, चाहे वो सुख दुःख या कोई भी ऐसी घटना है, जो आपके जीवन में घटित हो रहा है| तो इस परिस्थिति का जिम्मेदार आप स्वयं है? कैसे???? तो सीधे तौर पर यही कहूँगा की आप ही हो अपने जीवन के निर्माता सब कुछ जो आपके साथ हो रहा है, यह बात पढ़कर आप थोड़ी देर के अचंभित भले हो| लेकिन यह कटु सच्चाई है, जिसे आप झुठला नहीं सकते | हम जिस जगह रह रहे है, जिस प्रकार के कपडे पहन रहे है, और जिस घर में रह रह रहे है, हमने खुद बनाया है| ये बात सच है की हम अपनी दुखद या सुखद परिस्थितियों के खुद स्वयं जिम्मेदार है| इस बात को हम इस तरह से समझते है- की कैसे हम अपनी जिंदगी सफलता विफलता के खुद जिम्मेदार है?
जिंदगी में हमारे एक सिद्धान्त काम करता है, अनजाने में ही सही पर वो हम सबके साथ काम कर रहा है|
वो सिद्धांत है "आकर्षण का सिद्धान्त" जो हम सभी के साथ घटी घटनाओ का रूप है, जो हमने कभी उस विषय पर विचार किया, सोचा समझा व् लगातार अपने जहन में बिठाये रखे उस बात को- वो बात गलत या सही इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, की आप गलत या सही सोच रहे है, ये काम करता है, जैसे गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत जो हम सभी पर लागु होता है| जैसे कोई भी ठोस वास्तु ऊपर फेके तो वो निचे ही गिरता है न की ऊपर जाता है|
यह ठीक गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत पर ही काम करता है| यानी " जैसे सोचेगे,वैसे आज नहीं तो कल वैसे ही हम बन जायेंगे" यानि हम जिस प्रकार का सोच रखते है, चाहे वह गलत या सही इसका परिणाम हम भुगतते है| यानि ठीक उसी प्रकार जैसे जमींन में किसी भी प्रकार का बीज डाल दे, तो मिट्टी यह नहीं देखती की जहर का वृक्ष बोया है, या कोई फल का वृक्ष | ठीक इसी प्रकार हमारा मष्तिष्क जिसे हम अवचेतन मन कहते है| यह भी वैसे ही काम करता है, क्या गलत है, क्या सही इसका फर्क नहीं पड़ता हमारे अवचेतन मन पर आप जैसा सोचेंगे वैसे ही घटनाये आपके साथ घटित होती रहेगी|मानिये आपका अवचेतन मन अलादीन के चिराग जैसा है| यानि आपका गुलाम ' जिसे जो हुक्म दिया जाये वह ठीक वही कार्य करे' , तो यह सीधा सीधा इस बात से यह निष्कर्ष निकलता है की- हम अपनी असफलता का खुद जिम्मेदार है| वह कैसे तो, चलिए जानते है-
हमारे मन में कुछ इस प्रकार के विचार अपना जड़े जमा चुकी है-
१ कोई भी कार्य शुरू करने से पहले असफलता का डर- अक्सर ऐसा होता है - हम जब भी कभी कोई नयी शुरुवात करने जाते है, यह सबसे बड़ी व् खास बात होती है, जैसे--
असफलता से पहले ही दर जाना|
क्या होगा जब मई फेल हो जाऊंगा|
लोग क्या कहेंगे?
दुसरो से तुलना करने लगते है , वो नहीं कर पाया तो मै कैसे कर पाऊंगा ?
एवं अन्य प्रकार की बहुत सारी नकारात्मक बाते हमारे मष्तिष्क में घर कर बैठती है, और अगर हम हिम्मत कर आगे बढ़ते भी है, तो असफलता हाथ लगती है|
अपने जीवन में हमेशा कमी महसूस करना- अक्सर ऐसा भी होता है हम हमेशा ये सोचने लगते है की मेरे पास इस चीज की कमी है, पैसे नहीं है, सही घर नहीं है, सही लोग नहीं है, मेरे पास कमी है कमी है... इस बात का हमारे मन पर बहुत गहरा असर पड़ता है- और हमारे जीवन में कमिया ही कमिया रहती है| और हम कभी आगे नहीं बढ़ पाते....
कैसे हम इन सारी नकारात्मक विचारो से मुक्ति पा सही वस्तुओ, सुख,ख़ुशी,स्वास्थ,धन,ऐश्वर्य सब कुछ पा सकते है-
इस विषय पर चर्चा अगले लेख में किया जायेगा--
"यानि हमारा मष्तिष्क ही हमारे जीवन में हो रही घटनाओ का प्रतिबिंब है"
एक कहावत है " बोये बीज बबूल का तो आम कहा से खाये"
ठीक इसी प्रकार हम जो कुछ सोचते विचरते है- उसका सीधा सीधा प्रभाव हमरे जीवन में आने वाली घटनाओ पर पड़ता है|
मुझे उम्मीद है--
आप मेरी बातो को समझ गए होंगे|
धन्यवाद
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