तो शुरू करते है आज का विषय है - क्या है आप? कभी सोचा है | ये विषय शायद आप सभी को कुछ अजीब लगे, लेकिन इस विषय में जिंदगी का सार छिपा हुआ है | कहने को तो हम सभी इंसान है , लेकिन क्या हम सच में इंसान है ,इस बात का क्या दावा है ? अब आप सोच रहे होंगे की इन्सान होने के लिए क्या दावा करना है - जब हम मनुष्य योनी में जन्म लिए है तो हम सभी इन्सान ही तो है | हा आप एकदम सही है , आप इंसान ही है |लेकिन इस बात की पुष्टि से पहले खुद से पूछे- क्या मेरे अन्दर इंसानियत है ? अब आप कहेंगे की इन्सान होने की पुष्टि करने के लिए ये क्या तरीका है | मै अब यक़ीनन कह सकता हु की आप मेरे बातो पे हस रहे होंगे ? हसे जरुर हसे लेकिन एक खुद से जरुर पूछे क्या वाकई में मै इन्सान हु | हहाहाह मुर्ख बना रहा है लिखने वाला , आप जो भी सोचे मुझे उस बात से कोइ फर्क नहीं पड़ता की आप मेरे बारे में क्या सोच रहे है | अगर आपके अन्दर इंसानियत नहीं है, तो आप इन्सान नही है | अगर आपके अन्दर दयालुता,दानशीलता की भावना नहीं है तो आप इन्सान होने के नाम पर आप कलंक है | अगर मेरी बातो पे हसी छुट रही हो तो आप हैवान है |
तो शुरू होती है एक छोटी सी कहानी से- हम सभी अपने जिंदगी का मालिक है , हम सभी जन्म लेते है और जिंदगी के सफ़र को पूरा करके हम मृत्यु को प्राप्त होते है | ये बात अटल है और सत्य है | जन्म और मृत्यु के बिच के सफर को ही हम जीवन कहते है | इस जीवन के सफ़र में हम सभी दुःख सुख , रोना- हसना , गिरना-उठना, संघर्ष बहुत कुछ जो इस सफ़र में हम देखते समझते है | किसी की जिंदगी बहुत कठिन और दुखो से भरी है , वही किसी की जिंदगी खुशियों और सारे भौतिक सुख सुविधाओ से भरा होता है | कोई एक एक दाने के लिए मोहताज है , तो हम दूसरी तरफ देखते है की १०० आम व्यक्ति के बराबर रूपये एक व्यक्ति मात्र चुटकियो में खर्च कर देता है | इस बात को पढ़कर आप सोच रहे होंगे की उसकी किस्मत अच्छी है और वो आमिर है,उसके बाप के पास बहुत ज्यादा धन है | इसलिए वह ऐसा करता है | वाह आपने तो बहुत आसानी से यह बात कह दिया ,लेकिन ऐसा कहने से पहले एक बार नहीं सोचा की आखिर वो उन उचाइयो तक कैसे पंहुचा है | हम बात बने बाप की बिगड़ी औलाद के लिए नहीं बल्कि उस बाप के लिए जो दिन रात एक करके मेहनत करके वहा तक पंहुचा है | हम आपको बता देना चाहते है की जिंदगी किसी की भी आसान नहीं होती बल्कि इसे असान करने के लिए हमें मेहनत और संघर्ष करना पड़ता है | लड़ना पड़ता है खुद से ,खुद के विचारो से -जैसे जब तक पथ्थर पर दाब नहीं बनता तब तक वो पत्थर भी हिरा नहीं बनता |
गावो में एक कहावत है कुम्हारों की "जब तक ना जले , पिटे मिट्टी तब तक वो घड़ा नहीं बनता "है | ये बात गलत नहीं कहा गया है | यानी की जिंदगी में सफल जीवन जीने के लिए हमें संघर्ष करना पड़ता है , लड़ना पड़ता है वक़्त और हालात से जीतना पड़ता है ,तब जाकर हमें सफलता की एक छोटी झलक मिलती है | सफल होना आसान है अगर हमें अपने दर्द से प्यार हो जाए और तकलीफों और संघर्षो से दोस्ती हो जाये तो हम कुछ ही समय में सफल हो जाते है | लेकिन आज ये भटके युवाओ और बेरोजगारों को कौन समझाए की असली सफलता क्या है ? सभी के दिमाग में बल और पैसे की भूख है और अपने आप को बिना पहचाने दुसरे की तरह बनने की कोशिश में लगे है? क्या देखकर लगे है पैसा , गाड़ी, बंगला और पावर , कुछ भी नहीं है ये ?? आप कभी खुद से पूछे है की क्या है आप? कभी सोचा है की मेरे अन्दर क्या है ,मै क्या बनना चाहता हु और क्यों? अगर इसका जवाब अगर आप पैसे में देते है तो आप गलत है क्युकी आपको उस काम को अंजाम देने का मकसद बहुत छोटा है ? नहीं कर पाओगे आप पैसे की लालच में , अगर आप उस काम को सच में करना चाहते है और दिल से तो वजह खोजिये ? और आपको वजह कुछ ऐसा मिल जाए जिसके बाद आप को थकावट, बहाना सब ख़त्म हो जाए और उस काम को पूरा करने की जिद हो जाए तो आप समझ जाये की सही रास्ते पर है , लग जाइये आप अपना वजह ढूढ़ने के पीछे ? हां ये सच्चाई है आज के युग में , भटक गये है अधिकतर युवा अपने रास्तो से अपनी मंजिल से, इन्हें नहीं पता क्या करना चाहिए, इनसे अगर पूछ दिया जाए तो ये सोच में पड़ जायेंगे की क्या पूछ रहा है ये ? अगर विश्वास न हो तो खुद से और अपने आस पास पढाई कर रहे या किसी प्रतियोगी विद्यार्थी से भी उनमे से कई सारे लोगो का जबाब यही रहेगा की " मुझे नहीं पता सब कर रहे है तो मै भी कर रहा हु " अगर आपको ये जबाब मिले तो आप समझ जाये की वो अपने सही रास्ते पर नहीं जा रहा है | वो भटक चूका है जैसे वो समुन्द्र में उसके पास केवल नाव है बाकी उसका मंजिल नहीं है , वो किसी भी छोर तक नहीं पहुच पायेगा और उसकी नाव डूब जायेगी |
अगर आपके साथ भी ऐसा है| यानि आप इस बात से जनसँख्या के ८०% वाले हिस्से में है | जो केवल खाने सोने और कमाने में पूरी जिंदगी कट जाती है | जिन्हें होश ही नहीं रहता है की हम जिंदगी जी भी रहे है या नही क्योकि जिस जिंदगी में ख़ुशी और आनंद नहीं वो जीवन केवल मात्र एक मशीन की तरह है, जो पहले से बना बनाया रास्तो पर चलता है, वो नया कुछ नहीं करता है | और जिंदगी यु ही कट जाती है और जब मौत नजदीक होती है तो वो कहता है " काश मेरे पास थोडा वक्त और होता तो कुछ नेक काम कर लेता " | आखिर वो व्यक्ति मरते वक़्त ऐसा क्यों कहा ????
आप सभी को पता है इस जिंदगी में हमारे मर जाने के बाद केवल लोग उन्ही को याद करते है जो कुछ जिंदगी में किसी और के लिए बेहतर या उनकी जिन्दगी में बदलाव किये होते है|
ये बात भी सच है - अगर हमारे पास जो मरने के बाद जामा पूजी जो होता है | वह हमारा कर्म है, ना की आपके पास कितने बंगले , गाडी , और पैसे थे | इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता क्युकी कफ़न में जेब नहीं है | हमें कुछ यहाँ से वापस ले जाने के लिए - हम जो भी कमाएंगे वो यही से और यही पर छोड़ जायेंगे | हमारे साथ जो जायेगा वो ल हमारा कर्म , चाहे बुरा हो अच्छा मरने के बाद जो हिसाब बचता है वह केवल हमारे द्वारा किया गया पुण्य, नेक कर्म बस यही रहता है , और लोग भी केवल इसके बारे में ही बात करेंगे| मै यह नहीं कहता की आप राजा हरिश्चंद्र बन जाये और आप अपना सब कुछ दान कर सन्यासी बन जाये | ऐसा हरगिज नहीं क्योकि पहले जैसा सन्त महात्मा भी नहीं है | आप दान करे लेकिन उनको जो दान के पात्र है | जिंदगी है और कहा गया है की " मरने से पहले कोई ऐसा काम जरुर करे जिससे आपके मर जाने के बाद भी लोग आपको याद करे "
असफलता से सफलता की तरफ कैसे जाए ----- TOMMOROW
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THANKS
DHARMENDRA VISHWAKARMA
FOUNDER- VISHWA HAPPINESS FOUNDATION
तो शुरू होती है एक छोटी सी कहानी से- हम सभी अपने जिंदगी का मालिक है , हम सभी जन्म लेते है और जिंदगी के सफ़र को पूरा करके हम मृत्यु को प्राप्त होते है | ये बात अटल है और सत्य है | जन्म और मृत्यु के बिच के सफर को ही हम जीवन कहते है | इस जीवन के सफ़र में हम सभी दुःख सुख , रोना- हसना , गिरना-उठना, संघर्ष बहुत कुछ जो इस सफ़र में हम देखते समझते है | किसी की जिंदगी बहुत कठिन और दुखो से भरी है , वही किसी की जिंदगी खुशियों और सारे भौतिक सुख सुविधाओ से भरा होता है | कोई एक एक दाने के लिए मोहताज है , तो हम दूसरी तरफ देखते है की १०० आम व्यक्ति के बराबर रूपये एक व्यक्ति मात्र चुटकियो में खर्च कर देता है | इस बात को पढ़कर आप सोच रहे होंगे की उसकी किस्मत अच्छी है और वो आमिर है,उसके बाप के पास बहुत ज्यादा धन है | इसलिए वह ऐसा करता है | वाह आपने तो बहुत आसानी से यह बात कह दिया ,लेकिन ऐसा कहने से पहले एक बार नहीं सोचा की आखिर वो उन उचाइयो तक कैसे पंहुचा है | हम बात बने बाप की बिगड़ी औलाद के लिए नहीं बल्कि उस बाप के लिए जो दिन रात एक करके मेहनत करके वहा तक पंहुचा है | हम आपको बता देना चाहते है की जिंदगी किसी की भी आसान नहीं होती बल्कि इसे असान करने के लिए हमें मेहनत और संघर्ष करना पड़ता है | लड़ना पड़ता है खुद से ,खुद के विचारो से -जैसे जब तक पथ्थर पर दाब नहीं बनता तब तक वो पत्थर भी हिरा नहीं बनता |
गावो में एक कहावत है कुम्हारों की "जब तक ना जले , पिटे मिट्टी तब तक वो घड़ा नहीं बनता "है | ये बात गलत नहीं कहा गया है | यानी की जिंदगी में सफल जीवन जीने के लिए हमें संघर्ष करना पड़ता है , लड़ना पड़ता है वक़्त और हालात से जीतना पड़ता है ,तब जाकर हमें सफलता की एक छोटी झलक मिलती है | सफल होना आसान है अगर हमें अपने दर्द से प्यार हो जाए और तकलीफों और संघर्षो से दोस्ती हो जाये तो हम कुछ ही समय में सफल हो जाते है | लेकिन आज ये भटके युवाओ और बेरोजगारों को कौन समझाए की असली सफलता क्या है ? सभी के दिमाग में बल और पैसे की भूख है और अपने आप को बिना पहचाने दुसरे की तरह बनने की कोशिश में लगे है? क्या देखकर लगे है पैसा , गाड़ी, बंगला और पावर , कुछ भी नहीं है ये ?? आप कभी खुद से पूछे है की क्या है आप? कभी सोचा है की मेरे अन्दर क्या है ,मै क्या बनना चाहता हु और क्यों? अगर इसका जवाब अगर आप पैसे में देते है तो आप गलत है क्युकी आपको उस काम को अंजाम देने का मकसद बहुत छोटा है ? नहीं कर पाओगे आप पैसे की लालच में , अगर आप उस काम को सच में करना चाहते है और दिल से तो वजह खोजिये ? और आपको वजह कुछ ऐसा मिल जाए जिसके बाद आप को थकावट, बहाना सब ख़त्म हो जाए और उस काम को पूरा करने की जिद हो जाए तो आप समझ जाये की सही रास्ते पर है , लग जाइये आप अपना वजह ढूढ़ने के पीछे ? हां ये सच्चाई है आज के युग में , भटक गये है अधिकतर युवा अपने रास्तो से अपनी मंजिल से, इन्हें नहीं पता क्या करना चाहिए, इनसे अगर पूछ दिया जाए तो ये सोच में पड़ जायेंगे की क्या पूछ रहा है ये ? अगर विश्वास न हो तो खुद से और अपने आस पास पढाई कर रहे या किसी प्रतियोगी विद्यार्थी से भी उनमे से कई सारे लोगो का जबाब यही रहेगा की " मुझे नहीं पता सब कर रहे है तो मै भी कर रहा हु " अगर आपको ये जबाब मिले तो आप समझ जाये की वो अपने सही रास्ते पर नहीं जा रहा है | वो भटक चूका है जैसे वो समुन्द्र में उसके पास केवल नाव है बाकी उसका मंजिल नहीं है , वो किसी भी छोर तक नहीं पहुच पायेगा और उसकी नाव डूब जायेगी |
अगर आपके साथ भी ऐसा है| यानि आप इस बात से जनसँख्या के ८०% वाले हिस्से में है | जो केवल खाने सोने और कमाने में पूरी जिंदगी कट जाती है | जिन्हें होश ही नहीं रहता है की हम जिंदगी जी भी रहे है या नही क्योकि जिस जिंदगी में ख़ुशी और आनंद नहीं वो जीवन केवल मात्र एक मशीन की तरह है, जो पहले से बना बनाया रास्तो पर चलता है, वो नया कुछ नहीं करता है | और जिंदगी यु ही कट जाती है और जब मौत नजदीक होती है तो वो कहता है " काश मेरे पास थोडा वक्त और होता तो कुछ नेक काम कर लेता " | आखिर वो व्यक्ति मरते वक़्त ऐसा क्यों कहा ????
आप सभी को पता है इस जिंदगी में हमारे मर जाने के बाद केवल लोग उन्ही को याद करते है जो कुछ जिंदगी में किसी और के लिए बेहतर या उनकी जिन्दगी में बदलाव किये होते है|
ये बात भी सच है - अगर हमारे पास जो मरने के बाद जामा पूजी जो होता है | वह हमारा कर्म है, ना की आपके पास कितने बंगले , गाडी , और पैसे थे | इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता क्युकी कफ़न में जेब नहीं है | हमें कुछ यहाँ से वापस ले जाने के लिए - हम जो भी कमाएंगे वो यही से और यही पर छोड़ जायेंगे | हमारे साथ जो जायेगा वो ल हमारा कर्म , चाहे बुरा हो अच्छा मरने के बाद जो हिसाब बचता है वह केवल हमारे द्वारा किया गया पुण्य, नेक कर्म बस यही रहता है , और लोग भी केवल इसके बारे में ही बात करेंगे| मै यह नहीं कहता की आप राजा हरिश्चंद्र बन जाये और आप अपना सब कुछ दान कर सन्यासी बन जाये | ऐसा हरगिज नहीं क्योकि पहले जैसा सन्त महात्मा भी नहीं है | आप दान करे लेकिन उनको जो दान के पात्र है | जिंदगी है और कहा गया है की " मरने से पहले कोई ऐसा काम जरुर करे जिससे आपके मर जाने के बाद भी लोग आपको याद करे "
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