Saturday, September 15, 2018

विचारो को बदल कैसे सफल हो

उम्मीद है आपको मेरा पिछला पोस्ट पसंद आया होगा | यदि आप खुद को प्रोग्राम नहीं करते , तो जीवन आपको अपने तरीके से प्रोग्राम करने लगती है| जरुर पढ़े

जैसे मेरे पिछले पोस्ट के कहने के अनुसार मै आज आप सब के लिए विचारो को बदल कैसे सफल हो |

इस विषय पर बात करूँगा , विचार जिसका नाम सुनते ही आप सब के दिमाग में विचार आ रहा होगा | आखिर हम विचारो को बदल कैसे सफल हो सकते है ? हा ये सच्चाई है, हम अपने विचारो को बदल कर, हम अपने जिंदगी में सफलता की सीढ़िया चढ़ सकते है | हम वो सब कुछ कर सकते है, जो हम अपने जीवन में करना चाहते है , बनना चाहते है | तो जल्दी शुरू करते है  इस विषय को, क्योकि आपके दिमागों में हजारो विचार उठ रहे है? आखिर यह कैसा विचार है जो हमें सफल बना सकता है | तो आप सही सोच रहे है , क्योकि विचार ही हमारा व्यक्तित्व का निर्माण करता है, जो हमारे जीवन में जरुरत है सफल होने के लिये|
तो शुरू करते है आखिर कैसा विचार हम करे तो सफल हो सकते है | इससे पहले बता देना चाहता हु की आखिर, विचार है क्या ? और इसका हमारे जीवन में क्या महत्व है ? विचार वो है जो हम ना चाहते हुए भी हमारे दिमाग में चलता रहता है | विज्ञान के अनुसार हम पुरे २४ घंटे में ६०००० विचार हमरे मष्तिष्क में आते है , हमारे ना चाहते हुए भी हम प्रतिदिन सोचते या विचारते है | आप सब को यह बात सुनकर आश्चर्य हो रहा होगा | अगर विश्वास न हो तो आप थोडा सतर्क हो जाइये अपने विचारो के प्रति और गौर कीजिये | आप अचंभित होंगे इस बात को जानकर, क्योकि मैंने कहा  की विचार बनाये जिंदगी जब आप सतर्क होंगे तो आप देख पा रहे होंगे की आपके दिलो दिमाग में कौन सा अधिक विचार चल रहा है|
यही विचार आपके जीवन को बनाते है , आपके व्यक्तित्व में बदलाव लाते है | यानी आप अच्छे हो या बुरे ये सारी बात आपके विचारो पर निर्भर करती है , और विचार जो बनते है, वो हमारे आस-पास में घट रही घटनाओ से निर्माण होता है , आपका माहौल क्या है ? आप कैसे लोगो के बीच रहते है ? आपके दोस्त कैसे है ? आपके अगल बगल में लोग क्या सोचते है? इन सभी बातो का भी प्रभाव हमारे विचारो पर पड़ता है | और हम वैसे ही बनते चले जाते है | निर्भर ये करता है की आप बनना क्या चाहते है ? आप का आदर्श कौन है ? आप किन वसूलो व् विचारो पर अपना जीवन का निर्माण कर रहे है ? क्योकि हम जो सोचते है , थोड़ी देर सही हम वही बन भी जाते है | ये सच्चाई है , जैसे - "मन के जीते जीत मन के हारे हार" यानि आप जीतना चाहते है या हारना ये सब आपके ऊपर निर्भर करता है | जैसा सोच होगा वैसा विचार बनेगा, वही आपका कर्म भी बनेगा| यानी कोई भी कार्य पहले अपने दिमाग व् विचारो से बनते है, फिर जाकर वो भौतिक रूप व् सबके सामने उजागर होता है, यानि  हम जिस स्तर का सोच रखते है , तो हमारे अन्दर भी बदलाव उसी स्तर का होता है|
 यानि जब हम कुछ बड़ा सोचते है, तो हमारे अन्दर बदलाव भी बड़े स्तर से होते है | हम आज सभी जो कुछ भी है, वो हम अपने विचारो के स्तर से ही है| अगर आप जीवन में बहुत ही ख़ुशी से जी रहे है, तो इसका सीधा अर्थ है की- आपके विचारो में खुशिया है,आप सकारात्मक सोच रखने वाले है , आपके भाव में सकारात्मक उर्जा है , जो आप ख़ुशी से जी रहे है | यदि आप निराशा भरी जिंदगी जी रहे है, तो इसका मतलब भी की, आप नकरात्मक विचारो और उर्जा से घिर चुके है | निराशा जो है, वो हमारे जिंदगी का एक श्राप है , जो हमारे जिंदगी को एकदम सुनसान बना देती है , और हम अवशाद से ग्रसित हो जाते है, और जिंदगी हमें बेकार और बोझिल लगने लगता है , यहा तक की निराशा से ग्रषित होने के बाद बहुत से लोग आत्महत्या करने के बारे में सोचने या कर भी लेते है | निराशा क्यों होती है, जीवन में इस बात को समझना बहुत जरुरी है , क्योकि आज अधिकतर लोग इस बीमारी से जूझ रहे है, और जिंदगी को निराशाजनक बनाकर बोझ हो गए है खुद के लिये, इस धरती के लिए | क्यों कह रहा हु ऐसा- सोचिये ? क्योकि जीवन जो मिला है हमारा खुशियो से जीने व् बाटने के लिए, क्योकि ख़ुशी एक ऐसा उपहार है जो हम आसानी से प्राप्त कर सकते है , आसानी से खुश हो सकते है |
 ये सब बाते एक हमारे विचारो की ही देंन है , कैसे है तो हम जान लेते है | तो यह ऐसा विचार है, जो सकारात्मक और नकारात्मक विचारो पर निर्भर करती है | हम क्या सोचते है इस बात से तय होता है - खुशिया और निराशा, सफलता और असफलता , दुःख सुख सब कुछ जो है हमारे विचारो से ही तय होता है|जीवन में आपका क्या मंजिल है , करना चाहते है, और क्यों? ये सभी सवालों के जबाब ढूढ़ लिए है, तो आप आज भले जीवन को निराशाजनक जनक जी रहे है , लेकिन आने वाले समय में आप एक सितारे की तरह उभर कर आयेंगे, क्योकि आप कभी खुद  को जानने की कोशिश किये है , अपनी शक्ति को पहचानने के लिए , खुद को समझने के लिए तपाया है , जिंदगी के परिस्थितियों से संघर्ष किये है, सच बताये अगर आप कुछ बनने व् करने का ठान लेते है, तो आपका विचार आपको उसके तरफ अग्रसर करता है, उस काम को पूरा करने के लिये| एक सोच है मेरी-
" सोचना  और निर्णय लेना कठिन है, लेकिन उस काम को करना उससे भी आसांन है"
कैसे है ? तो इसपर एक छोटी सी मेरे जीवन में घटी घटना है, जो कुछ इस प्रकार है " मुझे २० फिट की उचाई से कूदना था पानी में पहले कभी ऐसा नहीं किया था, तो अन्दर डर भी बना हुआ था , लेकिन मैंने ठाना की, इस डर को ख़त्म कर, मै कुदूंगा  इस उचाई से, और मेरे कदम ३-४ बार पीछे हुआ, जा जाकर मै कूद नहीं पा रहा था, फिर कहा जो होगा देखा जायेगा , कदम बढ़ा और हिम्मत कर, सफल हुआ तो ये बात समझ में आई की " सोचने से ज्यादा करना कही आसान है", ये घटना केवल आपको समझाने के लिए बताया हु,  आप में से किसी के अन्दर मुझसे भी बेहतर पड़े है, लेकिन दुःख की बात ये है की, वो खुद को पहचानते नहीं है|
मई एक बात कहना चाहता हु की "पहचानो खुद को , और उसपर काम करो , आप अपने जीवन के सबसे उचाइयो पर रहेंगे, सफलताये आपकी कदम चूमेंगी|
सोचो कम, करो ज्यादा- ये अपना वसूल बनाओ, और करके दिखाओ, तभी जाकर आप आगे बढ़ पाएंगे, एक बात और मै इस लेख को ख़त्म करते हुए कहना चाहता हु की - अगर आपको लगता है मै कुछ कर जाऊंगा क्या करूँगा ये नहीं पता, तो सच बताये तो आप कर जायेंगे, कुछ बेहतर बस अपनी विचारो को सकारात्मक बनाये रखे और खुद पर काम करे , खुद को बीते कल से बेहतर बनाने की कोशिश करे| आप जीवन में अपने लिए और दुसरो के लिए भी बेहतर कर जायेंगे, बस चार दिन की जिंदगी है , अच्छा सोचो अच्छा करो|

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DHARMENDRA VISHWAKARMA 
FOUNDER- VISHWA HAPPINESS FOUNDATION

Monday, September 10, 2018

यदि आप खुद को प्रोग्राम नहीं करते , तो जीवन आपको अपने तरीके से प्रोग्राम करने लगती है

आप सब को कैसा लगा मेरा पिछला पोस्ट जरुर बताये कामेंट करके | मुझे ख़ुशी होगी |
आज का जो विषय है वो बहुत ही महत्वपूर्ण है  यदि आप खुद को प्रोग्राम नहीं करते , तो जीवन आपको अपने तरीके से प्रोग्राम करने लगती है | ये विषय बहुत ही सोचने व् समझने लायक है , आखिर क्यों समझने लायक है ?? ये बात आप सोच रहे होंगे | ये स्वभाविक बात है मनुष्य का जब नयी बात कोई अचानक कह दे , आज जो हम अपने देश में बेरोजगारी ,और अपने आप को बेहतर ना बनाने का, सही रूप से सफलता न पाने का कारण भी शायद यही विषय है | यह सोचने वाली बात है आखिर ऐसा क्यों हो रहा है, बड़े तादाद में युवा बेरोजगार और असफल है क्यों? यानि हम अपने जीवन को खुद के तरीके से नहीं चला रहे है, बल्कि जीवन हमें अपने तरीके से चला रहा है| यानि हम जब खुद के मुताबिकचलाते है, तो हम वो बनते जो हम सच में बनना चाहते है |
यानि अगर आप वो बने है जो कभी आप बनने के लिये सोचे थे, तो आप जिंदगी खुद चला रहे है| बता देना चाहता हु की जो व्यक्ति अपने जीवन को जीने के लिए प्राकृत पर छोड़ता है, तो यकीं मानिये, वो उस नदी की तरह है जो कभी अपना रास्ता नहीं पूछती और जिधर ढलान आये उसी तरफ बहती चली जाती है |
अच्छी बात है पर ये हमारा जीवन तो नदी की तरह नहीं है, जो जिधर मर्जी उधर ही बहती चली जाए| यानि बहाव तक तो सही है, लेकिन हम सही दिशा में न बहे तो वो बाढ़ का रूप ले लेती है , और विनाश का कारण बन जाता है |
ध्यान देने योग्य यहा जो बात  है,वो की हमारा जो बहाव है वो किस तरफ है- जैसे - ऊचाई(विपरीत) दिशा या सही दिशा में जो हमारा गुण और उर्जा के स्तर के मुताबिक है ,और हमारा बहाव जीवन में किस तरह है, इस बात पे ध्यान देना जरुरी है , क्योकि सही दिशा में किया गया कार्य ही हमें सफल बनाती है |
  हर किसी को पता है जैसे जन्म  शुरुवात है, जीवन का तो मृत्यु आखिरी मंजिल है | लेकिन जो मृत्यु और जन्म के बिच का सफर है, वो जीवन  हम कैसे सफल तरीके से जीये, कैसे सफलता की ऊचाईयों को छूये | लेकिन बात रही जिंदगी में उतार- चढाव, अमीरी-गरीबी की तो, ये जिंदगी के हिस्से है , जो जीवनप्रांत दुःख सुख और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है | ये सारी बाते जीवन के हिस्से है परन्तु ये सोचने वाली बात है, आखिर जो हम जीवन जी रहे है , वो किस के मुताबिक जी रहे है, अपने मुताबिक की बल्कि  जिंदगी के मुताबिक जी रहे है , आप सोच रहे है जैसे चल रहा है वैसे चलने दिया जाये, या आप अपने तरह से अपने पसंद  की जिन्दगी जी रहे है| जैसा आप कभी जीने के लिए सोचे थे | अगर आप खुद के मुताबिक जी रहे है तो अच्छी बात है , अगर नहीं तो यकीं मानिये आप जिंदगी के उस अंधियारे में जी रहे है जहा से सही जिंदगी की उम्मीद भी नहीं किया जा सकता |  जहा आप जीवन को आप सार्थक रूप से नहीं जी रहे है| मै ऐसा  क्यों कह रहा हु ऐसा ?? दिमाग पर जोर देकर सोचिये शायद आपके सवालों का जबाब खुद मिल जाये | एक विचार जो किसी महान व्यक्ति ने कहा था " अगर आप खुद के सपनों के लिए नहीं जी रहे है तो यकीं मानिये की दूसरा आपको अपने सपनों के लिए इस्तेमाल करेगा " मुझे उम्मीद है कुछ बात आपको समझ में आई होगी |
आज का सबसे बड़ा समस्या है , बेरोजगारी , सही मंजिल , या अपने विचारो के प्रति सतर्कता नहीं है, जो अधिकतर युवा जिससे वंचित होकर खुद को न समझकर, दुसरे के बंगले , गाडी देख,उनके जीवन के रसूख देख कर लग जाते है , उन्ही के तरह बनने की कोशिश करने लगते है, अगर आप के भी साथ यही है तो आप गलत रास्ते पर है | क्यों? आप क्या है कभी इस बात पर विचार किया है , मै क्या कर सकता हु, ये सोचा है कभी ? कभी ये सोचा है की- मै कौन सा काम दुसरो से बेहतर, और सही ढंग से कर सकता हु | मेरा मकसद क्या है? इस जीवन का ??
 अगर इन सभी सवालों का जबाब अगर आपके पास है | तो आप सही रास्ते पर है वर्ना आप भी भीड़ की तरह है , वो भीड़ है जो दुनिया के ८०%  लोग है | जो दुसरे के सपने के लिए जीते है, दुसरो के गुलामी करने में अपनी पूरी जिंदगी गुजार देते है | आप क्या है? सोचकर देखिये ? खंगाल कर देखिये अपने आप को जबाब जरुर मिलेगा , खुद को जाचं करके देखिये? आप आगे बढे, मै इससे पहले बता देना चाहता हु की आप भगवान के द्वारा बनाया हुआ वो अनूठे व्यक्ति है , जो आप सबसे अलग है , आपके विचार अलग है , आपके उर्जा का स्तर अलग है | अगर आप अलग नहीं होते तो प्राकृति आपको अलग चेहरा नहीं देती , अलग उंगलियों के निशान नहीं होते ,आपके विचार अलग नहीं होते, आपके सोच अलग नहीं होते, अगर ऐसा होता तो , आप भी उन्ही की तरह दिखते जिनकी तरह आप बनना चाहते है ? विचार करो दोस्तों ..... अभी वक्त है खुद को खुद की तरह बनाने के लिए| खुद को बेहतर बनाने के लिए | यानि सच में वो- जो आप बनना चाहते है , जो आप करना चाहते है| लेकिन कैसे हम उस रास्ते को चुने, जो हमें हमारे मंजिल तक ले जाये ? तो आप चलिए उन विचारो पर जो आप के दिल के करीब है और अगर वो बात सोचते ही यदी आपको विचार झकझोर के रख दे ? अगर ऐसा करते हुए आपके विचार उमड़ने लगे,अन्दर उर्जा का एहसास होने लगे, तो पकड़ लीजिये सतर्क होकर उन विचारो को, क्योकि यही सही दिशा है आपके लिए आपके सपने और मंजिल के लिए | 

हमारा मष्तिष्क एक सुपर कम्प्युटर की तरह है | इसके कई सारे भाग है जैसे चेतन, अवचेतन | चेतन मन जो हम जागृत अवस्था में कार्य करते है, अवचेतन मन जो २४ घन्टे लगातार काम करता है बिना रुके, बिना थके, और जब ये रुकता है तो हमारे जीवन का वो आखिरी साँस होता है, अवचेतन मन हमारा मष्तिष्क का वो भाग है | जो हमारे जीवन को संचालित करता है , हमारे विचारो से जीवन का निर्माण करता है | यानि सफल होने व् जिंदगी की उचाईयों को छूने, और वहा  तक पहुचने के लिए जहा तक आप पहुच सकते है | इस विषय को जान लेना अति महत्वपूर्ण है | यह गुप्त रहस्य है जिसके सहारे आज के या प्राचीन इतिहास में जो महान हुए है, वो सब इस रहस्य को जानते थे  | वो रहस्य है विचार बनाये जिंदगी( विचारो से कैसे सफल हो) , यानी हम सब इस रहस्य को जानकर सफल हो सकते है, जैसा चाहे वैसे हम अपने मंजिल को पा सकते है | यानी इस पुरे धरती पर इतना संसाधन है की जो पूरी दुनिया की आबादी से भी ख़त्म नहीं होगा ,और कैसे इस रहस्य का प्रयोग कर हम अपने निजी जीवन में सफल हो ये मै अगली पोस्ट में इस विषय पर बात करूँगा | फ़िलहाल मै ये बताना चाहता हु की कैसे हम अपने जीवन को खुद के मुताबिक बनाये न की दुसरो की तरह, तो उसके लिए क्या करे हम?
तो हमें खुद को पहचानना होगा, सही दिशा में जाना होगा | वो सही दिशा क्या है? जब आप अपने आप से पूछेंगे तो जवाब मिलेगा ? आपको देर सही अगर लगातार आप ढूढने की कोशिश करे तो मिल जायेगा, क्योकि खुद से बेहतर हमें दुनिया का कोई व्यक्ति नहीं जानता है, जितना हम खुद को जानते है| अगर फिर भी न मिले तो खुद को वक्त दीजिये , खुद के विचारो पर ध्यान दीजिये| आपको धीरे धीरे जबाब मिलना चालू हो जायेगा| और आप उसके बाद बढ़ चले सही दिशा व् मंजिल की तरफ, जितना आप खुश खुद को पाकर रहेंगे उतना ख़ुशी आपको दुनिया की कोई भी संसाधन नहीं दे सकता|
खुद को पहचानो? खुद को तलाश करो, यकीं मानिये आप दुनिया में सबसे भाग्यशाली व्यक्ति होंगे अगर खुद को पहचान गए तो अपने उर्जा के स्तर जान गए तो| क्योकि
स्वामी विवेकानन्द ने कहा था-:
वो दुनिया का सबसे अभागा इन्सान है, जिसने कभी खुद से वार्तालाप न किया हो |
धन्यवाद
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DHARMENDRA VISHWAKARMA 
FOUNDER- VISHWA HAPPINESS FOUNDATION

Friday, September 7, 2018

असफलता से सफलता की ओर

जैसे की मेरे कहने के अनुसार मै आज फिर आपके लिए एक नया पोस्ट जिसका शीर्षक है असफलता से सफलता की ओर कैसे बढे हम, उससे पहले का पोस्ट जिसका लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते है| क्या है आप ? कभी सोचा है ???

तो शुरू करते है आज का विषय जो आपको असफलता से सफलता की तरफ लेकर जाएगा | आगे बढ़ने से पहले हम ये जान लेते है की आखिर असफलता क्या है ? और हम क्यों असफल है ? क्योकि बिना कारण जाने आप अपनी असफलताओ को स्वीकार नहीं कर सकते |
असफलता हमारी जिंदगी का वो मनहूस पल है जिसमे हम अपने द्वारा ही अपना विकास रोककर गलत आदते अपना लेते है  | जो हमें समझ भी नहीं आता है, और हम अपने ही खोदे गढ्ढे में हम खुद ही गिर जाते है | ऐसा क्यों कहा मैंने क्योकि जिंदगी उन्ही की बेहतर बनती है जो अपने जिन्दगी के प्रति सतर्क और जागरूक होते है |
माना की जिन्दगी खुद के अनुसार नहीं चलती है , लेकिन अगर ठान लिया जाये तो हम इसे अपने मुताबिक , या इच्छानुसार चला सकते है | ये सोचने वाली बात है की हमारी जिंदगी को कौन चला रहा है ? भगवान या ब्रहामांड(नास्तिक) कौन या खुद आप ? क्या आपके पास इस बात का कोई जवाब है ?
अगर है तो बहुत अच्छी बात है | ना हो तो मिल जाएगा अगर आप चाहे तो ?? हा ये सच बात है की हम अगर कोई बात खुद से पूछते है , अपनी अंतरात्मा से पुछते है तो उस सवाल का जबाब कुछ वक़्त बाद आपको अपने आस पास में हो रही घटनाओ को देखकर या तुरंत आपका जबाब मिल जायेगा |
 असफलता एक जिंदगी का निराशा है , दुःख है जो हम समझ नहीं पाते , यानी अपनी जिंदगी मजाक बन जाती है ?? और हम खुद अपने रास्ते से विचलित हो गलत रास्ता या कुछ भी करने लगते है |
  जिंदगी अपने इच्छानुसार ना जीकर हम दुसरे के कही बातो पर या किसी और के इशारे पर नाचने लगते है | इस तरह हम अपना जिंदगी का अनूठा पहचान खोकर , भेड़ के झुण्ड में शामिल हो जाते है , और हम भी वही करने लगते है जो हम अपने अगल बगल दुसरो को करते देखते है , भूल जाते है हम अपने आपको की हमें क्या करना चाहिए | या हमारा क्या कर्तव्य बनता है इस जिंदगी के प्रति - आखिर  ये जानते भी तो नहीं है की क्या करना चाहिए , मै बात भारत की ८० % जनता के लिए कह रहा हु ? जो खुद को भूल दुसरे के बने बनाये रास्तो पर चल रहे है | जिंदगी जी भी रहे है तो आधी अधूरी ,एक मशीन की तरह , जिनका जिंदगी में कुछ भी नया नहीं है | नहीं उनके अन्दर कुछ नया करने का इच्छा है ? क्युकी जीवन में उन्हें कोई बताया ही नहीं की - आखिर ये जिंदगी क्या है , जीना कैसे है , कैसे सफल बनना है |
दुनिया में मात्र १% लोगो के पास उतना धन रसूख और सुख सुविधाए जितना दुनिया के ९९% लोगो के पास है |
आखिर वो इतना सफल क्यों है ?
 आखिर वो भी तो हमारे जैसे ही है| हम सब के जैसा अनाज और पानी सब कुछ आम लोगो की तरह यहाँ तक उनके पास भी २४ घन्टे घन्टे ही होते है | फिर भी उन सबके अन्दर ऐसा क्या होता है , जो वो सफलता की ऊचाईयों पर होते है | आप कहेंगे की उनका किस्मत अच्छा है , उनके अन्दर सुपर पावर है | ऐसा कुछ भी नहीं है , फर्क है तो केवल विचारो का मेहनत का और जिंदगी में सही मंजिल चुनने का अंतर है |

वो सफल है क्योकि उनके अन्दर सुपर पावर न होकर खुद को हर दिन बेहतर बनाने का जिद है, खुद को एक लेवल ऊपर रखने की जिद है , हर दिन को बीते कल से बेहतर बनाने की जिद है | कैसे नहीं होगे वो आगे जब उनके मन,दिल,दिमाग एक जगह पर है तो वो सफल होगे ही , बेहतर, खुश और जिंदगी में हर सफलता उनकी कद्मे चूमेगी ही- सच कहा गया है जिंदगी उन्ही को मिलाती है जिनके अन्दर खुद से लड़ने की हिम्मत रखते हो , अपने बुरे विचारो से , बुरी आदतों से हर उस चीज से जो उनको पीछे धकेले , उनको निचे गिराये| उससे पहले वो खुद को तैयार करते है उस समस्या से लड़ने की कब कोई नयी समस्या कड़ी हो जाये| जिंदगी में समस्या होना सही आम बात है - क्योकि समस्या ही आपको ऊपर उठाती है आपको हर वक़्त बेहतर बनाती है | यानि जिसने कभी जिंदगी में कठिनाइयों से सामना नहीं किया है , वो जिंदगी में कुछ बेहतर नहीं किया है और नाही सिखा है |
अगर आपके जीवन में कठिनाईया हो तो घबराये नहीं , क्योकि ये कठिनाई ही आपको सफल रास्ते पर लेकर जाती है |
सफल व्यक्ति हर वक्त सीखने की लालशा होती है , नया स्किल जो जिससे कुछ नया और बेहतर करे |
दुनिया के सबसे आमिर व्यक्तियों की एक आदत सामान है जो हर किसी के अन्दर देखा और परखा गया है |
जैसे - हर हफ्ते बिलगेट्स १ किताबे पढ़ते है ,वारेन बफेट जो हर रोज ५ घन्टे किताबे पढ़ने के लिए जाने जाते है |
एलान मास्क जो हर रोज ३ घंटे किताबे पढ़ते है , ऐसे ही तमाम जो सफल व्यक्ति जो हर रोज किताबे पढ़ते है |
कठिनाईया से लड़कर वे उस मुकाम तक पहुचे है | सफलता किसी चीज / परिस्थितियों का मोहताज नहीं होती |
जिसके अन्दर जिद हो जाये कुछ करने की तो यकींन मानिये वो अपने मंजिल देर सही लेकिन पाकर रहेगा |
ऐसे तमाम कहानिया है जिसे पढ़कर आप खुद को प्रोत्साहित कर मंजिल तक पहुच जायेंगे | बढ़ते रहिये नन्हे कदमो से धीरे ही सही आगे लगातार बढ़ते रहिये|
स्वामी विवेकानंद ने कहा था -" उठो जागो और तब तक न रुको जब तक मंजिल ना मिल जाये"

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Wednesday, September 5, 2018

क्या है आप ?? कभी सोचा है |

    तो शुरू करते है आज का विषय है - क्या है आप? कभी सोचा है | ये विषय शायद आप सभी को कुछ अजीब लगे, लेकिन इस विषय में जिंदगी का सार छिपा हुआ है | कहने को तो हम सभी इंसान है , लेकिन क्या हम सच में इंसान है ,इस बात का क्या दावा है ? अब आप सोच रहे होंगे की इन्सान होने के लिए क्या दावा करना है - जब हम मनुष्य योनी में जन्म लिए है तो हम सभी  इन्सान ही तो है | हा आप एकदम सही है , आप इंसान ही है |लेकिन इस बात की पुष्टि से पहले खुद से पूछे- क्या मेरे अन्दर इंसानियत है ? अब आप कहेंगे की इन्सान होने की पुष्टि करने के लिए ये क्या तरीका है | मै अब यक़ीनन कह सकता हु की आप मेरे बातो पे हस रहे होंगे ? हसे  जरुर हसे लेकिन एक खुद से जरुर पूछे क्या वाकई में मै इन्सान हु | हहाहाह मुर्ख बना रहा है लिखने वाला , आप जो भी सोचे मुझे उस बात से कोइ फर्क नहीं पड़ता की आप मेरे बारे में क्या सोच रहे है | अगर आपके अन्दर इंसानियत नहीं है, तो आप इन्सान नही है | अगर आपके अन्दर दयालुता,दानशीलता की भावना नहीं है तो आप इन्सान होने के नाम पर आप कलंक है | अगर मेरी बातो पे हसी छुट रही हो तो  आप हैवान है |

तो शुरू होती है एक छोटी सी कहानी से- हम सभी अपने जिंदगी का मालिक है , हम सभी जन्म लेते है और जिंदगी के सफ़र को पूरा करके हम मृत्यु को प्राप्त होते है | ये बात अटल है और सत्य है | जन्म और मृत्यु के बिच के सफर को ही हम जीवन कहते है | इस जीवन के सफ़र में हम सभी दुःख सुख , रोना- हसना , गिरना-उठना, संघर्ष बहुत कुछ जो इस सफ़र में हम देखते समझते  है | किसी की जिंदगी बहुत कठिन और दुखो से भरी  है , वही  किसी की जिंदगी खुशियों और सारे भौतिक सुख सुविधाओ से भरा होता है | कोई एक एक दाने के लिए मोहताज है , तो हम दूसरी तरफ देखते है की १०० आम व्यक्ति के बराबर रूपये एक व्यक्ति मात्र चुटकियो में खर्च कर देता है |  इस बात को पढ़कर आप सोच रहे होंगे की उसकी किस्मत अच्छी है और वो आमिर है,उसके बाप के पास बहुत ज्यादा धन है | इसलिए वह ऐसा करता है | वाह आपने तो बहुत आसानी से यह बात कह दिया ,लेकिन ऐसा कहने से पहले एक बार नहीं सोचा की आखिर वो उन उचाइयो तक कैसे पंहुचा है | हम बात बने बाप की बिगड़ी औलाद के लिए नहीं बल्कि उस बाप के लिए जो दिन रात एक करके मेहनत करके वहा तक पंहुचा है |  हम आपको बता देना चाहते है की जिंदगी किसी की भी आसान नहीं होती बल्कि इसे असान करने के लिए हमें मेहनत और संघर्ष करना पड़ता है | लड़ना पड़ता है खुद से ,खुद के विचारो से -जैसे जब तक पथ्थर पर दाब नहीं बनता तब तक वो पत्थर भी हिरा नहीं बनता |
गावो में एक कहावत है कुम्हारों की "जब तक ना जले , पिटे मिट्टी तब तक वो घड़ा नहीं बनता "है | ये बात गलत नहीं कहा गया है | यानी की  जिंदगी में सफल जीवन जीने के लिए हमें संघर्ष करना पड़ता है , लड़ना पड़ता है वक़्त और हालात से  जीतना पड़ता है ,तब जाकर हमें सफलता की एक छोटी झलक मिलती है | सफल होना आसान है अगर हमें अपने दर्द से प्यार हो जाए  और  तकलीफों और संघर्षो से दोस्ती हो जाये तो हम कुछ ही समय में सफल हो जाते है | लेकिन आज ये भटके युवाओ और बेरोजगारों को कौन समझाए की असली सफलता क्या है ? सभी के दिमाग में बल और पैसे की भूख है और अपने आप को बिना पहचाने दुसरे की तरह बनने की कोशिश में लगे है? क्या देखकर लगे है पैसा , गाड़ी, बंगला और पावर , कुछ भी नहीं है ये ?? आप कभी खुद से पूछे है की क्या है आप? कभी सोचा है  की मेरे अन्दर क्या है ,मै क्या बनना चाहता हु और क्यों? अगर इसका जवाब अगर आप पैसे में देते है तो आप गलत है क्युकी आपको उस काम को अंजाम देने का मकसद बहुत छोटा है ? नहीं कर पाओगे आप पैसे की लालच में , अगर आप उस काम को सच में करना चाहते है और दिल से तो वजह खोजिये ? और आपको वजह कुछ ऐसा मिल जाए जिसके बाद आप को थकावट, बहाना सब ख़त्म हो जाए और उस काम को पूरा करने की जिद हो जाए तो आप समझ जाये की सही रास्ते पर है  , लग जाइये आप अपना वजह ढूढ़ने के पीछे  ?  हां ये सच्चाई है आज के युग में , भटक गये है अधिकतर युवा अपने रास्तो से अपनी मंजिल से, इन्हें नहीं पता  क्या करना चाहिए, इनसे अगर पूछ दिया जाए तो ये सोच में पड़ जायेंगे की  क्या पूछ रहा है ये ? अगर विश्वास न हो तो खुद से और अपने आस पास पढाई कर रहे या किसी प्रतियोगी विद्यार्थी से भी उनमे से कई सारे लोगो का जबाब यही रहेगा की " मुझे नहीं पता सब कर रहे है तो  मै भी कर रहा हु " अगर आपको  ये जबाब मिले तो आप समझ जाये की वो अपने सही रास्ते पर  नहीं जा रहा है | वो भटक चूका है जैसे  वो समुन्द्र में उसके पास केवल नाव है बाकी उसका मंजिल नहीं है , वो किसी भी छोर तक नहीं पहुच पायेगा और उसकी नाव डूब जायेगी   |
अगर आपके साथ भी ऐसा है| यानि आप इस बात से जनसँख्या के ८०% वाले हिस्से में है | जो केवल खाने सोने और कमाने में पूरी जिंदगी कट जाती है | जिन्हें होश ही नहीं रहता है की हम जिंदगी जी भी रहे है या नही क्योकि जिस जिंदगी में ख़ुशी और आनंद नहीं वो जीवन केवल मात्र एक मशीन की तरह है, जो पहले से बना बनाया रास्तो पर चलता है, वो नया कुछ नहीं करता है | और जिंदगी यु ही कट जाती है और जब मौत नजदीक होती है तो वो कहता है " काश मेरे पास थोडा वक्त और होता तो कुछ नेक काम कर लेता " | आखिर वो व्यक्ति मरते वक़्त ऐसा क्यों कहा ????
आप सभी को पता है इस जिंदगी में हमारे मर जाने के बाद केवल लोग उन्ही को याद करते है जो कुछ जिंदगी में किसी और के लिए बेहतर या उनकी जिन्दगी में बदलाव किये होते है|
ये बात भी सच है - अगर हमारे  पास जो मरने के बाद जामा पूजी जो होता है | वह हमारा कर्म है, ना की आपके पास कितने बंगले , गाडी , और पैसे थे | इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता क्युकी कफ़न में जेब नहीं है | हमें कुछ यहाँ से वापस ले जाने के लिए - हम जो भी कमाएंगे वो यही से और यही पर छोड़ जायेंगे | हमारे साथ जो जायेगा वो ल हमारा कर्म , चाहे  बुरा हो  अच्छा मरने के बाद जो  हिसाब बचता है वह केवल हमारे द्वारा किया गया पुण्य, नेक कर्म बस यही रहता है , और लोग भी केवल इसके बारे में ही बात करेंगे| मै यह नहीं कहता की आप राजा हरिश्चंद्र बन जाये और आप अपना सब कुछ दान कर सन्यासी बन जाये | ऐसा हरगिज नहीं क्योकि पहले जैसा सन्त महात्मा भी नहीं है | आप दान करे लेकिन उनको जो दान के पात्र है | जिंदगी है और कहा गया है की " मरने से पहले कोई ऐसा काम जरुर करे जिससे आपके मर जाने के बाद भी लोग आपको याद करे "

असफलता से सफलता की तरफ कैसे जाए ----- TOMMOROW

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तुम्हारी ज़िंदगी रो रही है — जब तुम हर दिन खुद को पोर्न की लत में खो रहे हो

😔 परिचय: एक सच्चाई जो दिल तोड़ देती है तुम्हें पता भी नहीं चलता... हर बार जब तुम पोर्न देखते हो, हर बार जब तुम एकांत में उस आदत में डूबत...